तुम्हारे सामने तुम्हे कुछ कह ना पाए...
हाल ए दिल बयान कर ना पाए
तुम्हारे सामने कुछ कह ना पाए...
तुम्हे अपना बनाने की कोशिश में
ये सब बता ना पाए
सोचकर नही बैठे थे...
कैसे दिल की बात तुम्हें बताएगें
क्या पता था फैसला आप...
हमारी इसी कमी पर सुनाएंगे
दूर से आया था...
फिर से आया था
मुझे लगा ये काफी था...
दूर से आया था...
फिर से आया था
पूरा करने उसे...
जो अधूरा रह गया था
आपके रोकने से ना रुका था...
जाने के बाद समझ आया...क्या खोया था
लौटा दिया इस बार आपने...
जब रुकने आया था खुद से...
सबब मिलेगा एसा मेरी देरी का...
ये सोच भी ना था
तुमने कहा तुम्हे...
हमारे जैसा आशिक ढूंढने से नहीं मिलता
गलती बस हमारी ये थी...
हमने इसे एतबार समझ लिया
केहना जो चाहते थे...
तुम्हारे सामने ना कह सके
सोचकर नही बैठे थे...
कैसे दिल की बात बताएगें
क्या पता था...फैसला आप...
हमारी इसी कमी पर सुनाएंगे।।
No comments:
Post a Comment